वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गणेश जी की मुड़ी हुई सूंड के कारण उन्हें वक्रतुण्ड भी कहा जाता है | गणेश जी की सूंड या तो दायीं ओर या बायीं ओर मुड़ी हुई होती है| सीधी सूंड वाली गणेश जी की प्रतिमा बहुत दुर्लभ होती है
जानें गणेश जी की दायीं और बायीं सूंड का महत्व:
सिद्धिविनायक
जिन प्रतिमाओं में गणेश जी की सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई होती है उन्हें सिद्धिविनायक कहते हैं| विद्वानों के अनुसार यदि गणेश जी की स्थापना घर में करनी हो तो दायीं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश जी शुभ होते हैं| इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है|घर के बाहर जानें से पहले इनके दर्शन करने से हर कार्य सफल होता हैं | वहीँ कई विद्वानों का यह भी मानना है की सिद्धिविनायक गणेश सिद्ध पीठ से जुड़े हुए होते है, इनकी पूजा अर्चना पूर्ण विधि के अनुसार होनी चाहिए, इसलिए इन्हें ज्यादातर मंदिरों में स्थापित किया जाता है|
विघ्नविनाशक
गणेश जी को विघ्नविनाशक या विघ्नहर्ता भी कहा जाता है| जिन प्रतिमाओं में गणेश जी की सूंड बायीं ओर मुड़ी होती है, उन्हें विघ्नविनाशक कहते है | इन्हें घर के मुख्य द्धार पर लगाना शुभ माना जाता है | इसका कारण है की जब भी हम घर से बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाएं लेकर वापस लौटते हैं| घर में प्रवेश करने से पहले यदि हम विघ्नहर्ता गणेश जी के दर्शन करते हैं तो वे ऊर्जाएं हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती| विघ्नहर्ता गणेश जी सभी विपत्तिओं का नाश कर हमारी रक्षा करते हैं|
गणेश जी का हर रूप मंगलकारी और विघ्नों को नाश करने वाला है| सच्ची श्रध्दा और आस्था से की गई गणेश जी की पूजा सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं।