Divine “आदमी की औकात” – दिवंगत जैन मुनि तरुण सागर जी द्वारा रचित कविता 10 Jul 202110 Jul 2021 फिर घमंड कैसाघी का एक लोटा,लकड़ियों का ढेर,कुछ मिनटों में राख…..बस इतनी-सी हैआदमी की औकात !!!! एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया,अपनी सारी ज़िन्दगी,परिवार के नाम कर गया,कहीं रोने…