जब आप बड़े हो जाते हो तब आप सिर्फ कद में ही बड़े नहीं होते, आपको मन से भी बड़ा बनना पड़ता है … या शायद बहुत दृढ़ मन बनाना पड़ता है… क्योंकि आप अपने बड़ों को अपनी आंखों के सामने हमेशा के लिए जाते हुए देखते हो और आप कुछ नही कर पाते।
वो जिनकी उंगली थाम कर आप चलना सीखते हो …उन हाथों को कपकपाते हुए देखते हो,
जिनके लफ्जों ने आपको बोलना सिखाया …उनकी लड़खड़ाती हुई आवाज सुनते हो।
उनकी वो नाम आंखें बहुत कुछ बयां करना चाहती हैं.. पर आप चाह कर भी समझ नहीं पाते …. ।
जब आप चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते… उस वक्त के लिए अपने मन को मजबूत बनाना पड़ता है। शायद इसे ही बड़ा होना कहते हैं।
पर जिंदगी कहां किसी के लिए रुकती है। ना किसी के आने से न जाने से … बस थोड़ी बदल जाती है। जाने वाला इंसान सिर्फ यादों में रह जाता है… और यादें वक्त के साथ धुंधली हो सकती हैं पर कभी मिट नहीं सकती।
आपके बड़े आपका साथ कभी नहीं छोड़ते। इस दुनिया से विदा होने के बाद भी वो कभी सपनों में या कभी किसी रूप में आपको बताते हैं कि वो सदा आपके साथ हैं।
God cannot be everywhere therefore he created Fathers
कभी न थकने वाले मेरे पापा .
अब थक कर बैठ जाते थे।
फिर भी “मैं ठीक हूं” कहकर हमें बहलाते थे।
हमारी हर जरूरत को बिन कहे समझ जाते थे।
और अपनी जरूरत को… “जरूरत नहीं” बतलाते थे।
जो पसंद है वो तुम ले लो
मैं बैठा हूं ना चिंता मत करो
अपनी तकलीफों में हमारा हौसला बढ़ाते थे ।
ऐसे थे मेरे पापा बस ..क्या हाल हैं ? पूछकर सबके दिल में जगह बना जाते थे।