वो बचपन भी क्या बचपन था ,जब न था कल का ठिकाना ।एक जगह बस रुक चलते जाना,आज है यहाँ खेलना ,आज है यहाँ जाना
Day: January 27, 2022
स्वतंत्रता
मन में स्वराज की चाह थी , हाथ में आग की मशाल थी , रगों में जिनके दौड़ता था मातृभूमि के लिए लहू उनके मन
😊😊😊Smile 😊😊😊😊
Don’t just get sad 😞 Don’t make yourself mad 😖 Make simple moral in life Who treats you better give him lot of smiles 😎
मन की कल्पना
मुझे चाह नहीं कि आसमान में उड़ सकूँ काबिल इतनी बनूँ की जमीं से जुड़ सकूँ मेरे अरमान नहीं बुलन्दियों को छूने की इतना सा
“आज़ाद भारत”
भारत में गूंज रही आज़ादी की शहनाई! वीरों की वीरता ऐसा रंग लायी!! देश की आज़ादी की खातिर जिन्होंने दी कुरबानी! उसी कारण पायी हमनें