यादों से बस कुछ सुनहरे पल संझोना चाहती हूँ।
थक गयी अब …मैं जीना चाहती हूँ।।
नोक झोंक आपसी तकरार में बस
अब चुप रहना चाहती हूँ।
थक गयी अब … मैं जीना चाहती हूँ।।
हर किसी की गलती की वजह हूँ मैं
अब दलिलों में गुनेहगार ही रहना चाहती हूँ।
थक गयी अब.. मैं जीना चाहती हूँ।।
कभी शिकवा नहीं किया ईश्वर से
पर अब ‘बस और नहीं’ कहना चाहती हूँ।
थक गयी अब…मैं जीना चाहती हूँ।।