पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई
वो नन्ही सी गुड़िया
दादी की काजू की डिबिया
वो परियों की कहानी
सपनों की संदूकदानी
ना जाने कहाँ खो गई
पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई….
वो जन्मदिन पर कुछ ख़ास
स्कूटर पर घूमना हर सांझ
थोड़ी सी तारीफ़ पर इतराना
और छोटी छोटी बातों पर रूठ जाना
ये सभी बातें तो अब पुरानी हो गई
पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई…
अब जिद्द करती नहीं
जिद्द मान लेती हूँ
चेहरा पढ़कर मूड जान लेती हूँ
अब तो मेरी बिटिया भी
सयानी हो गई…
पापा सच.. मैं छोटी से बड़ी हो गई…