सोलह श्रृंगार के 16 भाव

पहला श्रृंगार है स्नान जिसमें मैंने नकारात्मक सोच को ना दिया मान

दूसरा श्रृंगार बिंदी का ऊंचा रखूंगी अपना आत्मसम्मान

तीसरा श्रृंगार सिंदूर का
लाल रंग सा उज्जवल हो मेरा भविष्य

चौथा श्रृंगार काजल का
बुरी नजर से बचे मेरा परिवार

पांचवा श्रृंगार मेहंदी का दिखलाता है भाव सहनशीलता का

छठा श्रृंगार फूलों का गजरा खुशियों से आंगन मेरा रहे महका

सातवां श्रृंगार है मांग टीका
पूरी करूं अपने परिवार की मांग सदा

आठवां श्रृंगार है नथ का
नाम रोशन कर कर सबकी रखूं ऊंची नाक

नौवां श्रृंगार है कानों के कुंडल
ना सुनूँ किसी की बुरी बात

मंगलसूत्र है दसवा श्रृंगार
बांधे रखूं मजबूत डोर से अपना परिवार

ग्यारवा श्रृंगार बाजूबंद सजाया है
कोई भी काम करने की ताकत को अपनाया है

बारवे श्रृंगार में चूड़ियां खनखनाती रहूं
अपने जीवन में सदा खिलखिलाती रहूं

तेरवा श्रृंगार है अंगूठी का
अपने इरादों को जकड़ कर है रखा

कमरबंद का है चौदहवा श्रृंगार कमर कस के रहती हूं हर चीज के लिए तैयार

पन्द्रवे और सोल्वे श्रृंगार बिछिया और पायल है बहुत खास
जहां जहां कदम पड़े वहां हो खुशियों का वास..

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