क्या कहता है बूढ़ा मन..
जैसे लौट रहा बचपन।
पास उनके जाओ,
बैठो दो पल ।
तुम अपना आज सुनाओ,
वो सुनाए बीता कल।।
माना धुंधली हो गई है नज़र,
पर फिर भी चेहरा लेते पढ़।
कब खुश हो तुम, कब परेशान,
आसानी से लेते पहचान ।।
बच्चों से महके आँगन,
और बड़ों से बनते हैं घर ।
बच्चों की किलकारियाँ जैसे ही,
गूंजे ममता का भी स्वर।।
समझो उनकी आवाज़ का रुदन,
नहीं चाहिए उनको तुम्हारा धन।
धन उन्होंने भी बहुत कमाया,
तभी तुम्हे इस लायक बनाया ।।
भले ही बहुत व्यस्त हो तुम,
समय नहीं है तुम्हारे पास ।
पर कुछ पल मीठे बोल बोलो..
कुछ क्षण खिलखिलाओ उनके साथ ।।
बस इस में खुश हो जाता बूढ़ा मन,
जैसे चहक रहा हो बचपन।
Awesome 👍
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