जय माता दी

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।

आप सभी को नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ….। हम माता रानी से आप सभी की अच्छी सेहत और कल्याण की कामना करते हैं।

नवरात्रि का अर्थ नौ रातों तक ही सीमित नहीं है। नवरात्रि पर्व हमारे लिए नई उमंग, नए रंग, नई उम्मीद, ‌नए सपनें लेकर आता है। प्रत्येक वर्ष ये पावन उत्सव चार बार मनाया जाता है। जिस में दो गुप्त नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि मनाईं जाती हैं। अध्यात्म और धार्मिक आधार के अतिरिक्त नवरात्रि का वैज्ञानिक आधार भी है। ऋतुओं में बदलाव के कारण हमारी शारीरिक और मानसिक शक्ति कमजोर पड़ जाती है, नवरात्रि में व्रत और हवन पूजन करने से मौसम में बदलाव के कारण उत्पन्न हुए रोग नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि चारों नवरात्रि ऋतुओं के संधिकाल में आती हैं।

नवरात्रि पूजन में रंगों का भी बहुत महत्व है। हर साल नवरात्रि के रंग समान होते हैं पर इनका क्रम नवरात्रि के दिनों पर निर्भर करता है। माँ दुर्गा के सभी रूपों और 2020 में समर्पित उन रंगो का संक्षिप्त वर्णन निम्न तालिका में प्रस्तुत किया गया है |

नौ रूपअस्त्र – शास्त्रवाहनरंग
शैलपुत्रीत्रिशूल और कमलबैलपीला
ब्रह्मचारिणीजप की माला और कमंडलचरण (पैर)हरा
चंद्रघंटाखड्ग और अन्य अस्त्रसिंहसलेटी
कुष्मांडाकमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, जप माला और गदासिंहनारंगी
स्कंदमातावरदमुद्रा, कमल पुष्प और गोद में स्कन्दसिंहसफ़ेद
कात्यायनीतलवार और कमलसिंहलाल
कालरात्रिलोहे का काँटागधानीला
महागौरीडमरू और त्रिशूलबैल और सिंहगुलाबी
सिद्धिदात्रीसिंह और कमल पुष्प चक्र, गदा, शंख और कमलसिंह और कमल पुष्पजामुनी

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