तुम मैं और मैं तुम बन जाते है चलो आज ये खेल आजमाते है
“तुम पूरे दिन क्या करती हो”,”कितना गुस्सा करती हो”,”दिन में क्यों सोती हो “,चलो आज इन उलझे सवालों को सुलझाते है
तुम मैं और मैं तुम बन जाते है चलो आज ये खेल आजमाते है
खेल खेलने से पहले अपनी दिनचर्या बताती हूँ आपके एग्जाम से पहले थोड़ा revision कराती हूँ
कुछ ज्यादा नहीं मैं हूँ करती बस सुबह बच्चों को नए नए तरीके से उठाती हूँ फिर सब के लिए बढ़िया बढ़िया नाश्ता बनाती हूँ कभी कभी अपना नाश्ता तो किचन में ही हो जाता है क्योंकि online class का वक़्त हो जाता है छोटी के साथ दो घंटे class में बैठती कमज़ोर ना हो जाए उसकी नज़र इसलिए हर एक शब्द dictate करती
दो class के बीच में दाल का कुकर गैस पर रखती हूँ तभी तो 12 बजे तक लंच तैयार कर पाती हूँ अभी मैं अपनी दिनचर्या आगे और बताती इतने में जनाब बोले कल मेरी important meeting है अभी याद आया चलो यह अदला-बदली का खेल कभी और खेलते हैं मुझे बड़े प्यार से समझाया आंखें सब कुछ कह गई पर यह शब्दों से नहीं कह पाए कि “इतना कुछ कैसे कर लेती हो मैं तो कर ना पाऊंगा ,अगर तुम्हारी तारीफ कर दी तो तुमसे छोटा हो जाऊंगा ”
यही सोच बदलने के लिए तो यह खेल खेलने का सोचा था तुम मुझको समझो मैं तुमको समझूं बस यही छोटा सा मोर्चा था ना मेरा मकसद तुम को नीचा दिखाना और ना अपने आप को सुपर दिखाना था हम एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं बस इतना सा बतलाना था