मैं एक नारी हूं आप सभी लोग यह सोच रहे होंगे कि मैंने अपना नाम क्यों नहीं बताया क्योंकि आज भी लोग नारी को सिर्फ नारी की नजर से देखते हैं किसी नाम की नजर से नहीं इसी संदर्भ में कुछ पंक्तियां आपसे साझा करना चाहती हूं
बचपन से मुझे यही समझाया गया कि नारी कमजोर होती है भले ही सबसे पहले अंतरिक्ष में जाने वाली एक नारी भारत से ही थी (kalpana chawla)
बचपन से मुझे यही समझाया गया कि नारी को पढ़ाई लिखाई में ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए भले ही सबसे पहली ह्यूमन केलकुलेटर नारी भारत से ही थी (Shakuntala Devi)
बचपन से मुझे यही समझाया गया कि नारी को ज्यादा उच्च विचार नहीं रखनी चाहिए भले ही दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली नारी भारत से ही थी (Santosh Yadav)
बचपन से मुझे यही समझाया गया कि नारी को ज्यादा खेलकूद नहीं करना चाहिए भले ही छह विश्व चैंपियनशिप में से प्रत्येक में पदक जीतने वाली मुक्केबाज नारी भारत से ही थी (Mary Kom)
बचपन से मुझे यही समझाया गया कि नारी को गृहस्ती संभाल नी चाहिए भले ही मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली पहली एशियाई नारी भारत से ही थी (Reita Faria)
बचपन से मुझे यही समझाया गया कि नारी को घर में रहना चाहिए भले ही ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली नारी भारत से ही थी (Karnam Malleswari)
जैसा कि मैंने कहा था आज भी लोग नारी को नारी की नजर से ही देखते हैं भले ही नारी ने कितने ही जगह भारत का नाम रोशन क्यों ना किया हो और इन नारियों ने भी अपनी हिम्मत इसलिए बनाए रखी कि इन नारियों ने इन लोगों पर ध्यान नहीं दिया और देश का नाम रोशन किया पर मेरी संदर्भ में नारी की तुलना किसी से नहीं की जा सकती नारी को किसी नाम और किसी पहचान की जरूरत नहीं है और वह कहते हैं ना “एक नारी सब पर भारी” इस पंक्ति का मतलब मुझे आज समझ आया