जमानें के तानों से..
बेबुनियाद इल्ज़ामों से..
बीते हुए अफ़सानो से..
थक गई हूँ ….पर हारी नहीं हूँ मैं..
बेवज़ह नफ़रतों से …
मतलबी जरूरतों से..
एक तरफ़ा समझोतों से…
थक गई हूँ ….पर हारी नहीं हूँ मैं….
अब अपने आँसू खुद ही पोंछ लेती हूँ..
होठों पर लफ्ज़ आने से पहले ही रोक लेती हूँ..
अपने लिए खुद से ही लड़ रही हूँ मैं..
थक गई हूँ ….पर हारी नहीं हूँ मैं..
बार बार टूट कर संभल जाती हूँ..
पर हर बार कुछ अधूरी रह जाती हूँ..
खुद को बिख़रने से रोक रही हूँ मैं…
थक गई हूँ … पर हारी नहीं हूँ मैं..
Beautifully written….
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अनुकरणीय संघर्ष 🎉👌बहुत दूर चलना है अभी थकने से पहले।
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Sure Mam, Thankyou
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