बेटी – राजकुमारी से रानी तक का सफर

गुड्डो! ओ गुड्डो! जल्दी से चाय बना, देख तेरी पसंद की जलेबी और कचौरी लाया हूँ, शेखर जी दरवाज़े पर दोनों हाथों में सामान लिए खड़े थे| तभी अंदर से अम्मा की आवाज़ आई, अरे! भावरा हो गया है क्या?…. गुड्डो तो कब की परायी हो गयी … तूने ही तो विदा किया था कुछ दिन पहले |
शेखर जी की ऑंखें नम हो गयी फिर भी खुद को सँभालते हुए भारी आवाज़ में बोले – अम्मा! तुम भी कैसी बातें करती हो … बेटियां भी कभी परायी होती है .. अभी फ़ोन करके बुलाता हूँ|

आज गुड्डो आने वाली थी शेखर जी ने उसकी पसंद की सारी चीज़ों से घर भर दिया था , खाना भी उसकी पसंद का ही बना था , उसके आने के इंतज़ार में दरवाज़ा भी खुला छोड़ रखा था | घंटी बजी, गुड्डो सामने खड़ी थी .. नमस्ते पापा! कैसे है आप? गुड्डो बोली |गुड्डो का यह शांत रूप शेखर जी को परेशान कर रहा था |शाम ढ़लते ही शेखर जी ने अपनी पत्नी सुधा पर जोर डाला की वह बेटी से पूछें की वो खुश तो है ? जब सुधा ने गुड्डो से पूछा तो उसने बहुत विश्वास के साथ उत्तर दिया –हाँ ! माँ मैं बहुत खुश हूँ | फिर तू इतनी चुप क्यों है?… सुधा ने फिर पूछा.. तब गुड्डो बोली क्यों आपको मेरा शांत रहना पसंद नहीं है?…वहाँ तो सबको मैं ऐसी ही अच्छी लगती हूँ| थोड़ी देर चुप रहकर गुड्डो फिर बोली, माँ ससुराल में मुझे हर बात पर टोकते हैं – ऐसे मत चलो,ऐसे मत बोलो, ऐसे मत खाओ .. मुझे लगता है जैसे उन लोगों को मेरी कोई भी बात पसंद नहीं …!

सुधा गुड्डो का मन पढ़ चुकी थी…उसने समझाया ऐसा नहीं है की उन्हें तुम पसंद नहीं हो…एक जन्म
में बेटी के कई अवतार होते हैं,… इस घर में तुम राजकुमारी थी पर उस घर में तुम रानी बन कर गई हो|
एक राजकुमारी की दुनिया केवल उसके माता-पिता, भाई-बहन, करीबी रिश्तेदार और सहेलियों तक ही सीमित होती है,…. परन्तु एक रानी को दुनिया परखती है |….वें तुम्हें इसलिए नहीं टोकते क्योंकि तुम्हारे अंदर कोई कमी है ,… वें इसलिए कहते हैं ताकि दुनिया तुम्हारे अंदर कोई कमी न निकाल सके| एक बेटी जब राजकुमारी से रानी बनती हैं तो उसे अपने स्वभाव में अंतर लाना आवश्यक हैं… तभी उसे रानी जैसा मान-सम्मान मिलता हैं | परन्तु माता-पिता के लिए बेटियाँ सदैव राजकुमारी ही रहती हैं |

(सभी पापा की परियों को समर्पित)

a loving father to her daughter —“you are a queen to your husband, but you will be always a princess to me”

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